द गर्ल इन रूम 105
"हां, लेकिन उस समय हम एक-दूसरे को जानते नहीं थे।"
"आप जारा से आखरी बार कब मिले थे?" मैंने अपनी टोन को कम से कम सवालिया बनाते हुए कहा।
'ओह, ये तो अब याद नहीं। एक साल से ज्यादा समय हो गया होगा। शायद हम दिल्ली में उसके घर पर ही मिले थे।'
"उसके बाद फिर आपकी उससे बात नहीं हुई? सीधे आपको उसकी मौत की ख़बर ही मिली?' 'हो सकता है, कभी-कभी कोई कैचअप कॉल कर लिया हो, लेकिन कुछ खास नहीं। क्यों?" मैंने सिर हिलाते हुए कहा, मैं अभी तक उस हादसे से उबर नहीं पाया हूँ। मैं बस सोचता ही रह जाता हूं
कि क्या हुआ होगा।'
'यह वॉचमैन की कारस्तानी थी ना? वाहियात, ये किस किस्म की सिक्योरिटी हुई? लड़कियों की सुरक्षा
आज भी हमारे लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।" मैंने सिर हिला दिया। मुझे लगा कि मेरे ट्राउज़र्स की जेब में रखी ईयररिंग्स मेरी जांघों पर चुभ रही हैं। तब तक सौरभ बाथरूम से लौट आया। मैंने विषय बदल लिया।
कैप्टन, यहां पर अकेलापन नहीं खलता है?" 'खलता तो है। हमें यहां पर अपनी फैमिली को साथ रखने की इजाज़त नहीं है।'
'आपकी फैमिली कहां है?' सौरभ ने कहा। "मेरे बीवी-बच्चे अभी दुबई में हैं। वहां मेरे
साले साहब रहते हैं।"
'ओह. ' मैंने कहा और अपनी कमर सीधी करके बैठ गया। सौरभ और मैंने एक-दूसरे को कनखियों से देखा ।
"क्या?' फ़ैज़ ने कहा।
'आप इतने यंग हैं कि लगता नहीं आपकी शादी हो गई होगी, सौरभ ने कहा । फैज़ मुस्करा दिए।
'शुक्रिया। आर्मी आपको फिट रखती है। मैं इकतीस साल का हूं। मेरे जुड़वां बेटे हैं, तीन साल के।"
'तो आपकी वाइफ़ दुबई में रहती हैं? मैंने कहा। "नहीं, वो केवल पिछले छह महीने से वहां अपने भाई के साथ हैं। उसके बाद दोनों बच्चों के स्कूल्स शुरू हो जाएंगे। आर्मी ने हमें दिल्ली में एक घर दिया है। हम वहीं रहते हैं।"
"ये तो बहुत अच्छी बात है कि आर्मी अपने लोगों का ख्याल रखती है, मैंने कहा।
'हां, अर्जुन विहार में एक छोटा-सा फ़्लैट मुझे दिया गया है। लेकिन हमारे पास ग्राउंड फ्लोर का मकान हैं, जिसमें एक छोटा-सा गार्डन भी है। दोनों बच्चे उसी में खेलते रहते हैं
।"
'दिल्ली जैसे शहर में तो अपना एक गार्डन होना लग्ज़री है,' सौरभ ने कहा। 'वैसे वो गार्डन छोटा-सा ही है। हमारे आसपास फौज के बहुत सारे परिवार रहते हैं। इससे हमारी एक कम्युनिटी बन गई है, जो एक-दूसरे की मदद करती है। सलमा वहां बहुत महिलाओं से मिलती-जुलती है और
सभी औरतें बैठकर अपने शौहरों की गैरमौजूदगी के बारे में बातें करती रहती हैं,' फिज़ ने हंसते हुए कहा। "आप अक्सर दिल्ली जाते हैं?"
"जब भी नौकरी इजाजत दे चला जाता हूँ। वैसे नौकरी ज्यादा इजाज़त देती नहीं।" "तब तो आप अपने परिवार को बहुत मिस करते होंगे, सौरभ ने कॉफ़ी टेबल पर रखी प्लेट से मुट्ठी भर बादाम उठाते हुए कहा। 'हर रोज़, हर पल उन्हें याद करता हूं मैं, फ़ैज़ ने ठंडी आह भरते हुए कहा ।
उन्होंने अपने सनग्लासेस निकाल दिए। उनकी हल्की स्लेटी आंखें उदास लग रही थीं। उन्होंने अपना
मोबाइल फोन निकाला और हमें अपने परिवार की तस्वीर दिखाई। उनकी पत्नी और दो छोटे बच्चे बुर्ज खलीफा के
पास खड़े थे। दोनों बच्चों के हाथ में आइस्क्रीम कोन था। 'आर्मी की नौकरी आसान नहीं, ' मैंने कहा।
"हां, यह मुश्किल है। लेकिन देश के लिए सब मंजूर है।"
'आप बहुत इंस्पायरिंग हैं, सौरभ ने अपनी प्लेट के बादामों को चट करने के बाद अब किशमिश पर हाथ
साफ़ करते हुए कहा। मैंने सौरभ को इस भुक्खड़पन के लिए एक डर्टी लुक दी, लेकिन उसने इसे इग्नोर कर दिया।
'अब हमें चलना चाहिए। हम आपको काफ़ी डिस्टर्ब कर चुके हैं, मैंने कहा।
सभी उठ खड़े हुए।